आपदा प्रबंधन
जब अचानक घटनाओं के कारण समाज प्रभावित होता है, जिससे समुदाय व स्थानीय संसाधनों को नुकसान पहुंचता है, तो हम स्थिति को ‘आपदा’ के रूप में कह सकते हैं। समुदाय की खतरनाक परिवेश, जो कि असुरक्षितता की स्थितियां हैं और तबाही से बचने या निपटने के लिए अपर्याप्त उपायों से आपदा का कारण बनता है। आने वाले अध्यायों में इन अवधारणाओं को विस्तार से पेश किया जाएगा।
पंचकूला जिले में सामरिक और प्रदूषण मुक्त स्थान है, जो कई बोर्डों, निगमों और सरकारी विभागों को अपने मुख्यालयों यहां स्थापित करने के लिए आकर्षित करता है। समृद्ध वनस्पति और जीव भी पंचकूला को और सुन्दर बनाता है। लेकिन जिले में कुछ प्राकृतिक और अप्राकृतिक खतरों का भी सामना किया जाता है, जिनके बारे में प्रशासन सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। जिला आपदा प्रबंधन योजना (डीडीएमपी) एक ऐसा उपकरण है जो इस दिशा में कुशल उपाय करने की सुविधा प्रदान करता है। सरल शब्दों में, एक जिला आपदा प्रबंधन योजन भविष्य मे आने वाली आपदाओं से निपटने मे सहायता करती है।
जिला शिवालिक तलहटी पर स्थित है और उप-हिमालयी मैदानों का प्रवेश द्वार है। एक खड़ी प्राकृतिक ढलान के साथ इलाके उप-पहाड़ी है। हिमाचल प्रदेश में पहाड़ियों से निकलने वाली नदियों का पानी जिला से गुजरता हैं, जिस कारण पानी निचे की तहफ निकल जाता है। इससे मिट्टी के क्षरण होता है क्योंकि नदी का पानी मिट्टी को भी साथ बहा ले जाता है।
इस संबंध में, जिला ने एक अलग आपदा प्रबंधन दस्तावेज विकसित किया है, जिसे यहां डाउनलोड किया जा सकता है। डाउनलोड के लिए यहां क्लिक करें (3.05 MB)